20-05-2021 07:16:29 .
जगदलपुर। 15 अगस्त 26 जनवरी इस दौरान अपनी धुन पर 15 सौ जवानों को कदमताल में चलने के लिए मजबूर करने वाले एएसआई ईश्वर दास वानखेड़े ने मेडिकल कॉलेज में आज अंतिम सांस ली, उन्हें कोरोना तो नही था लेकिन अचानक उनके निधन की समाचार मिलते ही पुलिस विभाग में शोक की लहर छा गई, इनके धुन व सरल स्वभाव को लेकर अधिकारियों से लेकर कर्मचारी उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे। ईश्वर दास वानखेड़े के छोटे बेटे कैलाश वानखेड़े ने बताया कि मूलतः महाराष्ट्र में रहने वाले पिता का जन्म 1 दिसंबर 1957 में हुआ था, 1 अक्टूबर 1980 में उनकी नॉकरी आरक्षक के रूप में किया गया, जहाँ भर्ती होने के बाद से ही उन्हें बैंड दल का प्रभारी बनाया गया, अपने रिटायर होते तक वर्ष 30 नवम्बर 2019 तक हर कार्यक्रम जिसमे 15 अगस्त, 26 जनवरी, पासिंग आउट व अन्य कार्यक्रमों में बैड धुन का नेतृत्व करते रहे। उनके इस कार्य के चलते पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने लालबाग मैदान में उनसे हाथ मिलाते हुए बैंड दल की तारीफ करते हुए उनका सम्मान भी किया था, साथ ही बस्तर में एसपी रह चुके रतन लाल डांगी के अलावा एसपी रहे मीणा ने भी उनके इस कार्य की काफी तारीफ की थी, ईश्वर दास ने अपने कार्यकाल में इतने कैश अवार्ड के साथ ही मैडल व प्रमाण पत्र मिले की उसे दीवारों में लगाने के बाद भी कई इनाम बच गए थे, हमेशा ही शांत स्वभाव व साफ दिल के ईश्वर दास ने पुलिस विभाग में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई थी। रिटायर से पहले उन्होंने अपने छोटे बेटे कैलाश को इस धुन को बजाने की ट्रेनिग दी, जिसके बाद से 2006 से बैंड दल का नेतृत्व करने के साथ ही जवानों को सीखा भी रहे थे, उनका बड़ा बेटा किशोर वानखेड़े भी पुलिस विभाग ने आरक्षक के पद में रहकर काम कर रहा है। करीब 5 दिन पहले सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते उन्हें मेकाज में भर्ती किया गया था, जहाँ उपचार के दौरान आज सुबह उनका निधन हो गया। रिटायर के बाद भी उन्होंने महिला बैड दल को तैयार किया वो भी अपने स्वेच्छा से इनके द्वारा तैयार की गई बैंड दल की तारीफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कर चुके है।