12-05-2021 18:47:14 .
वेबडेस्क। आज अंतर्राष्ट्रीय नर्स डे है मेकाज के कोविड वार्ड में तैनात नर्सों को डॉक्टर के बाद तीसरा भगवान् कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। यहां तैनात सभी स्टाफ नर्स खुद की और परिवार की फिक्र किए बिना शिद्दत से अपना फर्ज निभा रही हैं।कोरोना संकट में अपनी जान की परवाह किये बिना जिस तरह वो अपनी ड्यूटी कर रही हैं ऐसे में उनके बिना इस लड़ाई को लड़ना कतई मुमकिन नहीं है। इस वार्ड में तैनात कुछ स्टाफ नर्से ऐसी है कि कोई 5 महीने से घर नही गया है तो कोई 7 महीनों से इनमें से कई नर्स हैं जो कोविड संक्रमित मरीजों की सेवा करते- करते खुद भी संक्रमित हो गईं और अपनी जीवटता से कोविड-19 को हरा दिया। साथ ही ऐसी भी कई नर्स हैं जो लगातार कोविड मरीजों की सेवा कर रहीं हैं, और खुद को सुरक्षित भी रखे हुए हैं।
मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड की प्रभारी अंशिला बैस ने बताया कि मूलतः वो बिलासपुर की रहने वाली है वह पिछले 6 महीनों से कोविड वार्ड के प्रभारी के रूप में कार्य कर रही है। इस दौरान वो एकबार कोविड पॉजिटिव हो गईं लेकिन हार न मानते हुए बेहद सतर्कता के बीच खुद को इस स्थिति से उबारा और फिर उठ खड़ी हुईं एक नए उत्साह के बीच मरीजों की सेवा के लिए। कोविड वार्ड के प्रभारी के तौर पर उनकी जॉब थोड़ी चैलेंजिंग है 24 घंटे उन्हें ड्यूटी करनी होता है इसके साथ ही उन्हें उनकी टीम को भी प्रोत्साहित करना होता है उनकी टीम भी कोरोना मरीजों की सेवा को दिन व रात जुटी हुई हैं।
कोविड वार्ड में कार्यरत एक और स्टाफ नर्स जैनिफर जॉन ने बताया कि ड्यूटी के दौरान मरीजो से रिश्ता बन जाता है। कभी वो हम उम्र मरीज की सहेली तो बुजुर्ग की बेटी बनकर सेवा करतीं है।