जगदलपुर। प्रो. अली एम सैय्यद को वर्ष 2019 का डॉ. विजय लक्ष्मी शर्मा स्मृति प्राध्यापक सम्मान दिया जायेगा। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रो अली ने अपने ही आवास पर ऐसी व्यवस्था कर रखी है जिससे वे साल भर में करीब 2.5 लाख लीटर पानी भूजल रिचार्ज द्वारा धरती को लौटाने में सहयोग प्रदान करते हैं। इस प्राध्यापक सम्मान की घोषणा जूरी मंडल के संयोजक शंभाजी राव घाटगे ने की। जूरी के सदस्यों में पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर के पूर्व कुलपति एआर चन्द्राकर, छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं भूतपूर्व मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज व पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश आराधना चौबे शामिल थे। प्राध्यापक के तौर पर काम करते हुये प्रो. अली की संलग्नता एक बेहतर समाज रचना की दिशा में है। वे अध्यापन, शोध व लेखन के माध्यम से निरंतर गतिशील बने हुये हैं। उन्होंने स्नातकोत्तर उपाधियों की अंशपूर्ति के लिए लगभग 95 लघुशोध प्रबंधों, आनुभविक कार्य प्रतिवेदनों के विशेषकर जनजातीय संस्कृति के क्षेत्र में निदेशक के तौर पर कार्य किया है। उनके 6 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उनके लोक साहित्य के समाजशास्त्र विषय के 141 आलेख, संस्कृति, समाज तथा दर्शन विषय के 132 आलेख व किन्नर समुदाय विषय के 67 आलेख प्रकाशित हुये हैं। लोक आख्यानों में समाजशास्त्री विश्लेषण को लेकर उनकी पुस्तकें और यूं तारे बने एवं मैं मुझमें अकेला नहीं हूं प्रकाशित हुई हैं। ये पुस्तकें लोक साहित्य के समाजशास्त्र विषय पर गंभीर व्याख्याएं प्रस्तुत करती हैं जो अध्येताओं को लोकसाहित्य के सामाजिक पहलुओं से अवगत कराती हैं। जबकि किन्नर समुदाय के समाज शास्त्रीय विश्लेषण को लेकर उनकी पुस्तक 'किन्नर: मिथ एवं यथार्थ' उनकी सामाजिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर एक गंभीर रचना है। यह पुस्तक तृतीय लिंग पर शोध कर रहे शोधार्थियों द्वारा संदर्भ के रूप में प्रयोग की जा रही है। इसी के साथ दर्शन, यौनिकता, प्रेम, स्त्रियां और विविध विषयों पर जोगी को जोग मुझे प्रेम लिखो पुस्तक भी समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनके गंभीर चिंतन को प्रतिबिंबित करती है।