01-07-2018 17:45:09 .
जगदलपुर। मेडिकल कॉलेज में डाॅक्टरी की पढ़ाई करने वाली (जशपुर के पत्थलगांव की रहेने वाली) 24 वर्षीय रेशमा बुलबुल करकेट्टा और (सिहावा नगरी के) 27 वर्षीय डॉ जैनेंद्र कुमार शांडिल्य पेशे से डाॅक्टर बन रहे हैं। इन्होंने डाॅक्टरी की पढ़ाई पूरी कर ली है और कुछ ही दिनों बाद ये प्रेक्टिस शुरू करेंगे। इन दोनों को ही नई-नई जगह पर घूमना और जाना अच्छा लगाता था। एमबीबीएस जैसी पढ़ाई के बिजी शेड्यूल से दोनों ने टाइम निकालकर बस्तर के झील झरनों तक पहुंचे। यही नहीं बस्तर को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने यू ट्यूब में एक चेनल भी बनाया और इसमें मेरा बस्तर नाम से बस्तर के पर्यटन व अन्य स्थलों को दिखा रहे हैं। इनके इस चैनल पर चार लाख लोग विजिट कर चुके हैं। डॉ रेशमा बताती हैं कि घूमने का शौक तो था ही पर सोचा कि इस शौक के साथ बस्तर के लिए भी कुछ अच्छा किया जाए । जब वह यहां आई थी तब से बस्तर के संबंध में सिर्फ नेगेटिविटी ही सुन रही थीं लेकिन यहां के लोग यहां के पर्यटन स्थल बेहद खुबसूरत और अच्छे हैं। ऐसे में डॉ जैनेंद्र कुमार की मदद से बस्तर की पाॅजीटिविटी को दिखाना शुरू किया जिसका अच्छा रिसपांस मिल रहा है।
डॉ महेंद्र एमबीबीएस डाॅक्टर खतरे से खेलने का शौक नक्सल प्रभावित इलाकों में अकेले ही चले जाते हैं नदी-नाले पार कर लोगों का इलाज करने दरभा नाम सुनते ही झीरम घाटी नक्सली कांड की याद आ जाती है इसी दरभा में पोस्टेट एमबीबीएस डाॅक्टर 31 वर्षीय डाॅ. महेंद्र प्रसाद मूलत: बैकुंठपुर के रहने वाले हैं इन्हें खतरों से खेलना और एडवंेचर का बहुत शौक है। ऐसे में नक्सल प्रभावित इलाके में पोस्टिंग होने के बाद भी ये इलाज के लिए लोगों के घर तक पहुंच जाते हैं। बारिश में नदी-लाले उफान पर होने पर ये कई किमी पैदल ही नदी नाले पार कर पहुंच जाते हैं।आपको बता दे हाल ही में डॉ. महेंद्र की एक तस्वीर सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर चुकी है इस तस्वीर में साफ दिख रहा है की कैसे वो नाले को पार कर ड्यूटी पे जा रहे है । उनकी इस तस्वीर को फेसबुक में 20 हजार से अधिक बार देखा जा चुका है ।