09-01-2018 11:37:56 .
जगदलुपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस व अन्य दल नई-नई प्लानिंग कर रहे हैं और बूथ लेवल से लेकर जातीय समीकरण बिठाने में लगे हुए हैं। लेकिन कांग्रेस ने इस चुनाव की तैयारी एक साल पहले ही शुरू कर दी थी। छत्तीसगढ़ के चुनाव भले ही कांग्रेस स्थानीय चेहरों के साथ लड़ने की तैयारी कर रही है लेकिन चुनाव की प्लानिंग एक साल पहले से राहुल गांधी ने शुरू कर दी थी। राहुल ने गुजरात और छत्तीसगढ के चुनाव के लिए एक सी रणनीति बनाई है। गुजरात में जहां राहुल ने चुनाव के लिए पटेल और पाटीदारों का कार्ड खेला तो उसी दौरान छत्तीसगढ़ में आदिवासियों और पिछड़ों के साथ चुनाव लड़ने की प्लानिंग पर काम हो गया था। राहुल ने एक साल पहले ही बस्तर के प्रमुख आदिवासी नेता जो दूसरी पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उनसे वन टू वन मीटिंग की थी। सूत्रों की मानें तो राहुल ने एक साल पहले ही इन नेताओं से कह दिया था कि यदि आदिवासी एक मंच पर आते हैं और प्रदेश में चुनावी समर में उतरते हैं तो कांग्रेस हर स्तर पर उनका साथ देगी। दो दिन पहले आदिवासी महासभा के अध्यक्ष और सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने भी इशारा किया कि उनके संपर्क में राहुल गांधी है। इससे पहले आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने भी ऐसे ही इशारे किए थे।
एक-एक घंटे की मिटिंग वन टू वन बातचीत सीधे मुद्दों और मांगों पर चर्चा
राहल अभी तक बस्तर सहित छत्तीसगढ़ के एक दर्जन से ज्यादा आदिवासियों से वन टू वन चर्चा कर चुके हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने कई आदिवासी नेताओं को एक-एक घंटे का समय दिया इस दौरान बंद कमरे में इनसे वन टू वन चर्चा हुई।
आदिवासी कांग्रेस का गठन भी इसी मुहिम का हिस्सा
राहुल गांधी ने छह माह पहले आदिवासी कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तर पर गठन किया। कांग्रेस के नए अनुशांगिक संगठन का दर्जा दिया गया और बस्तर से विधायक मनोज मंडावी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित किया गया।
39 सीटों पर होगा बड़ा दांव
प्रदेश में 90 विधानसभा में 39 सीटें आरक्षित वर्ग के लिए हैं। इनमें से 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। बाकि सीटें ओबीसी व अन्य वर्ग के लिए हैं। छत्तीसगढ़ में बस्तर, सरगुजा दो बड़े संभाग आदिवासी बहुल हैं। इनमें अकेले बस्तर में 12 विधानसभा सीटे हैं। ऐसे में 39 सीटों पर कांग्रेस बड़ा दाव खेलने की तैयारी में हैं।
आदिवासी नेताअों के बोल एकजुट होने को तैयार
वर्तमान में प्रदेश में आदिवासियों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। राहुल गांधी पीएल पुनिया मेरे संपर्क में हैं। आदिवासी हित की बात होगी तो राजनीति से परे हटकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता हैं।
मनीष कुंजाम राष्ट्रीय अध्यक्ष आदिवासी महासभा
आदिवासियों को एक जूट कर चुनावी मैदान में उतारने की वकालत में पिछले दस सालों से कर रहा हूं,यदि कोई ऐसी मुहिम शुरू होती है तो हम उसका समर्थन करेंगें। मै तो कब से कह रहा था कि भले ही एक सीट पर ही चुनाव लड़ाओ पर टेस्ट तो करो।
अरविंद नेताम,आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री
आदिवासियों के हित के लिए कोई निर्णय हो रहा और लोग एक मंच पर आ रहे हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं मनीष या किसी भी अन्य के साथ आदिवासी हित के लिए काम किया जा सकता हैं।
राजाराम तोड़ेम सर्व आदिवासी समाज के नेता और पूर्व विधायक
खबरें ऐसी की समाज जिसे कहेगा उसे टिकट और जरूरी हुआ तो निर्दलीय को समर्थन
प्रदेश में आदिवासी नेताओं को साधने की कोशिश पिछले लंबे समय से चल रही है। कुछ समय पहले राहुल गांधी से मुलाकात कर आए एक आदिवासी नेता की मानें तो कांग्रेस का आदिवासियों को लेकर विजन साफ नजर रहा है। इस नेता की मानें तो कांग्रेस यह कह रही है कि पहले आदिवासी समाज एकजुट हो जाए और वह अपने बीच से ही चुनाव के लिए चेहरे दे और यदि जरूरत पड़ती है तो कुछ सीटों पर कांग्रेस समाज के प्रत्याशियों के खिलाफ भी प्रत्याशी नहीं खड़ा करने को तैयार है।
आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग भी हाे रही तेज
हाल ही में भूमि संशोधन विधेयक के विधानसभा में आने के बाद आदिवासी उद्वेलित हैं। इस बीच समाज में तेजी से आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग की मुहिम तेज हो रही है। चुनाव के आते-आते इस मांग को और तेज किया जाएगा। आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को कांग्रेस सीधे तौर पर सीएम डॉ. रमन सिंह का काट मान रही है। यही कारण है कि कुछ बड़े कांग्रेस के नेता भी इस मांग को हवा दे रहे हैं।