Jdp, 26-10-2023 20:51:28 .
जगदलपुर। दंतेवाड़ा से कांग्रेस के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी अमूलकर नाग ने अब कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है अमूलकर ने बयान जारी कर कहा है कि
मैं बारसूर कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष हू और कांग्रेस का मुस्तैद सिपाही हूं। इसके बाद भी मुझे निर्दलीय के रूप में बगावत करनी पड़ रही है मन विचलित है और बेहद दुखी भी है। कांग्रेस की खिलाफत करना मजबूरी है। बस्तर में अब शहीद महेंद्र कर्मा जैसा नेता नही है। वे सही मायने में जन नायक थे। उनका बेटा दीपक कर्मा भी बेहतर थे। अब तो पांच पांच विधायको का दंश आम जनता झेलती है। आम आदमी तो परेशान रहा ही है, इस परिवार के सदस्यों के साथ मेरा अनुभव भी बेहद खट्टा रहा है। कांग्रेस की मानसिकता के साथ दसको जुड़ा रहा और अच्छा लगता था की हम ऐसे दल की विचारधारा से जुड़े है। दंतेवाड़ा में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा बची ही नही है। परिवार की विचार धारा से कार्यकर्ताओं का भविष्य पार्टी में तय किया जा रहा है। मैं पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष बारसूर एवं वर्तमान ब्लॉक अध्यक्ष हूं । बारसूर का कार्य करते हुए कांग्रेस पार्टी संगठन के नियमों का पालन करते हुए विधानसभा चुनाव हेतु पार्टी के 19 दावेदारों के साथ मैंने भी अपनी दावेदारी पेश की थी। कांग्रेस पार्टी के प्रति मेरे मन में किसी प्रकार की कोई कसक नही है। ना ही दुर्भावना वश मैंने अपनी दावेदारी पेश की है। मैं तंग चुका हू, वर्तमान विधायक परिवार के क्रिया कलापों से। इसलिए विरोधस्वरुप मेरी दावेदारी थी। पार्टी ने दावेदारों के सर्वे रिपोर्ट को टिकट तय करने का सर्वोच्च आधार माना लेकिन दंतेवाड़ा विधानसभा के लिए उम्मीदवार तय करते समय विधायक परिवार के नकारात्मक सर्वे रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया गया। अन्य दावेदारों के सकारात्मक सर्वे रिपोर्ट को दरकिनार कर पुनः विधायक परिवार से छविन्द्र कर्मा को टिकट दिया गया। इन दो कार्यकालों में दंतेवाड़ा की जनता ने परिवार से एक विधायक नहीं ब्लकि पांच-पांच विधायकों को सहन किया। कार्यकर्ताओं से लेकर आम जनता, कर्मचारी वर्ग तक से कभी कर्मा परिवार के सदस्यों ने सही व्यवहार नहीं रखा। शहीद महेंद्र कर्मा एवं स्वर्गीय दीपक कर्मा हमेशा पार्टी कार्यकर्ताओं एवं आमजनों के सुख दुःख में खड़े रहे और उनके जाने के बाद कर्मा परिवार सिर्फ सत्ता का दुरुपयोग करते हुए जनता के शोषण में लगा रहा। इन सब बातों के बावजूद पूनः कर्मा परिवार से टिकट दिया जाना समझ से परे है। मैं 2015 में नगर पंचायत चुनाव में जब पार्षद का चुनाव लड़ रहा था, उस दौरान मुझे हराने का प्रयास विधायक परिवार द्वारा किया गया। पिछले पंचायत चुनाव में भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ इन्होंने न सिर्फ काम किया बल्कि एक निर्दलीय प्रत्याशी को जीता कर दंतेवाड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर भी क़ाबिज़ कराया और आज तक किसी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही तक नहीं की गई। वर्तमान प्रत्याशी छविंद्र कर्मा 2018 में अपनी माता देवती कर्मा जी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर रहे थे। नामांकन फार्म तक ले लिया था। दंतेवाडा मेरी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते दंतेवाड़ा के विकास का सपना लेकर इस क्षेत्र की जनता की सेवा का सपना लेकर, भ्रष्टाचार, परिवारवाद, शोषण के खिलाफ खड़े होने का संकल्प लेकर निर्दलीय विधानसभा प्रत्याशी के रूप में सामने आया हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि क्षेत्र की जनता का पूर्ण साथ और आशीर्वाद मुझे मिलेगा।