jdp, 19-06-2023 18:07:30 .
रविश परमार जगदलपुर। बस्तर गोंचा पर्व 2023 में तय कार्यक्रम के अनुसार 05 जून से 18 जून तक श्रीजगन्नाथ स्वामी के अनसर काल अवधि के बाद आज 19 जून को भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी के विग्रहों को श्रीमंदिर के गर्भगृह के सामने भक्तों के दर्शनार्थ स्थापित किसे जाने के बाद 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के पदेन पाढ़ी-पानीग्राही के द्वारा शताब्दियों पुरानी परंपरानुसार नेत्रोत्सव पूजा विधान संपन्न करवाया गया।
ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ अत्यधिक स्नान से अस्वस्थ हो गए थे। इस दौरान भगवान एकांतवास में चले गए थे जहां भगवान को स्वस्थ करने के लिए औषधियुक्त काढ़ा अनसर काल अवधि में पिलाया गया इसके बाद आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान स्वस्थ हो जाएंगे और नेत्र खोलेंगे। इस दिन मंदिरों में नेत्रोत्सव मनाया जाएगा। नेत्रोत्सव के अगले दिन द्वितीया तिथि पर 20 जून को भगवान अपनी प्रजा से मिलने रथ पर सवार होकर भ्रमण करेंगे और मौसी के घर जाकर विश्राम करेंगे।
पदेन पानीग्राही रधाकांत पानीग्राही ने बताया कि नेत्रोत्सव पूजा विधान की परंपरा का निर्वहन शताब्दियों से हमारे परिवार के द्वारा किया जा रहा है, नेत्रोत्सव पूजा की परंमपरानुसार भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र के विग्रहों की साज-श्रृंगार के साथ विधि-विधान से पूजन-हवन के साथ संपन्न किया जाता है। अनसर काल अवधि के बाद भगवान को आज विशेष भोग का अर्पण किया गया, जिसे श्रृद्धालुओं में वितरित किया गया। उन्होने बताया कि 15 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी के दर्शन एवं भोग प्रसाद का विशेष महत्व होता है, 20 जून को भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को रथारूढ़ कर रथयात्रा होगी।