jdp, 08-08-2022 16:28:05 .
जगदलपुर। यहां से लेकर रावघाट तक प्रस्तावित 140 किमी की रेलवे लाइन विवादित मुआवजे के वितरण को लेकर लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। पल्ली व अघनपुर में दो जमीन प्रभावित खातेदारों को करीब सौ करोड के भुगतान किए जाने के बाद यह मामला गरमाया था। इसपर तत्कालीन कलेक्टर ने एसआइटी से जांच करवाई और इसके बाद मामले में हाइकोर्ट ने मुआवजा लौटाने के आदेश दोनों भू प्रभावितों को करते उनके खाते व राजस्व लेनदेन पर रोक लगा दी थी। इसमें से प्रार्थी नीलिमा बेलसेरा ने सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की। वकीलों के दलील और अन्य मामलों के हवाले के आधार पर सुको ने याचिका को स्वीकार करते सुनवाई के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। सुको ने राज्य सरकार से इस मामले को लेकर समय सीमा के अंदर एफिडेविड जमा करने कहा है। सुको के इस आदेश के बाद नीलिमा बेलसेरिया को फौरी राहत मिल गई है। मालूम हो कि इससे पहले हाइकोर्ट ने एक अगस्त तक मुआवजे की कुल राशि करीब सौ करोड दोनों प्रभावित बलिनागवंशी व नीलिमा बेलसरिया से कलेक्टर बस्तर के पीडी खाते में डालने को कहा था। दो अगस्त को कलेक्टर चंदन कुमार ने भुगतान नहीं होने पर दोनों मुआवजा धारियों को नोटिस जारी कर सप्ताह भर का समय दिया था। कलेक्टर के इस आदेश के खिलाफ सुको में याचिका दायर की गई थी। मुआवजा निरस्त करने संबंधित मामले को लेकर हाइकोर्ट के सिंग्ल बेंच ने 10 जून को पहले ही आदेश पारित किया जा चुका था। इस आदेश में राजस्व भूमि के वर्तमान मूल्यांकन के आधार पर मिलने वाली राशि के उपर की रकम को लौटाने को कहा गया था। 28 जून को हाइकोर्ट की डबल बैंच ने इसी मामले में मुआवजे की पूर्ण राशि लौटाने को अधिग्रहित जमीन के नए मुआवजे के तय किए जाने की बात कही थी। मुआवजे की राशि नहीं लौटाए जाने के दौरान मुआवजा धारियों के सभी खातों को सील करने व उनके किसी भी राजस्व लेन देन या जमीन खरीदी - बिक्री पर रोक लगा दिया था। हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद पल्ली में ढाई हैक्टेयर के प्रभावित भूमि के मालिक बलि नागवंशी ने कलेक्टर बस्तर को नोटिस जारी कर यह जानकारी दी थी कि उनके मुआवजे का निर्धारण करीब 79 करोड होता है। इसमें से उन्हें महज 70 करोड का भुगतान किश्तों में हुआ है। शेष भुगतान जल्द करवाया जाए। हाइकोर्ट के आदेश के परिपालन में कलेक्टर ने उक्त नोटिस का जवाब दिए बगैर ही निर्धारित समय अवधी के बाद दोनों मुआवजेधारियों को रकम वापसी की नोटिस जारी की।
बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने दायर किया है केविएट
मालूम हो कि मामले की सुनवाई जब हाइकोर्ट में हुई तो बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने ग्रामीण जमीन का अतिरिक्त मुआवजा देने की बात स्वीकार करते हुए राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी किए जाने की बात कही थी। जगदलपुर रावघाट रेलवे लाइन भूमि अधिग्रहण घोटाले में फंसे दो भूमि स्वामियों की याचिका को हाई कोर्ट की युगलपीठ ने खारिज कर दी थी। इसके बाद मामले की सुनवाई हाइकोर्ट की डबल बैंच ने किया जहां से दाेनों प्रार्थी को राहत नहीं मिली। आगामी कार्रवाई को देखते बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में केवियद दायर किया था। इसके आधार पर सुको ने दूसरे पक्ष की सुनवाई के लिए ही याचिका को स्वीकार करने के बाद तय समय सीमा निर्धारित की है।
सुको में यह रखा पक्ष
नीलिमा ने दायर याचिका के माध्यम से कहा था की उनकी संस्था एक पंजीकृत व्यवसाय चलाती है । अपने जीविकापार्जन के लिए जमीन क्रय-विक्रय का कार्य करती है। कलेक्टर द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का पूर्ण अवलोकन किये बगैर ही आनन-फानन में आदेश जारी कर दिया गया। जिससे प्रार्थी के जीविकापार्जन में परेशानी आ रही है। किसी भी प्रकार का नोटिस पारित नहीं किया जाना भारतीय संविधान की धारा 14, 19 और 21 का उल्लंघन है। प्रार्थी ने कहा है कि उनके पति की अचल संपत्ति के क्रय-विक्रय पर भी रोक लगा दिया गया है। वे इस मामले में पक्षकार ही नहीं हैं ।
आदेश का पालन होगा
हाइकोर्ट ने जो आदेश पारित किया उसका नियम से पालन किया गया। दोनो ही मुआवजाधारियों को यह सूचित किया गया है कि वे मुआवजे की राशि खाते में तय समय पर जमा करवाएं। हाइकोर्ट के आदेश पर यदि सुप्रीम कोर्ट में किसी तरह की याचिका को स्वीकार किया गया है तो अब तक हमारे पास किसी तरह का आदेश नहीं आया है। मामले में यदि राज्य सरकार से तलब किया जाएगा तो मामले की विस्तृत जानकारी और िस्थति से अवगत करवाया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के सभी आदेशों का प्रमुखता के आधार पर परिपालन किया जाएगा।
चंदन कुमार , कलेक्टर बस्तर