jdp, 08-08-2022 13:24:04 .
रविश परमार जगदलपुर। बस्तर में भी मंकी पॉक्स की दस्तक की आंशका बनी हुई है। आशंका है कि दंतेवाड़ा जिले के बचेली में तैनात सीआईएसएफ के दो जवान इसके शिकार हो गए हैं जवानों को मंकी पॉक्स के लक्षण उभरने के बाद मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करवाया गया है। दोनों जवान रविवार को हॉस्पिटल पहुंचे थे। इसके बाद डॉक्टरों ने इनकी जांच की तो डॉक्टर चौंक गए। इनके शरीर पर मंकी पॉक्स के लक्षण जैसे चट्टेदार दाने उभर गए थे चूंकि अभी मंकी पॉक्स को लेकर प्रशासन सतर्कता बरत रहा है ऐसे में डॉक्टरों ने तत्काल दोनों जवानों की ट्रेवल हिस्ट्री पूछी। इसके बाद एक जवान ने बताया कि वह हाल ही में दिल्ली से लौटा है जबकि दूसरा जवान बचेली में ही था और कहीं बाहर नहीं गया था जैसे ही डॉक्टरों को जवान की ट्रेवल हिस्ट्री पता चली तो फिर इनके मंकी पॉक्स की जांच करवाने का फैसला
लिया गया और दोनों जवानों के नमूनों को पुणे स्थित लैब में जांच के लिए भेजा गया है।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर नवीन दुल्हानी ने बताया कि दो जवान हॉस्पिटल में भर्ती हुए हैं। इनके शरीर में दाने निकल गए हैं दानों में लिमफोल्ड नहीं है, लेकिन लक्षण मंकी पॉक्स जैसे हैं। उन्होंने कहा हो सकता है कि दोनों जवान चिकन पॉक्स या मीजेल्स के शिकार भी हो सकते हैं। डॉक्टर नवीन ने बताया कि राहत की बात यह है कि अभी दोनों जवानों के पैर के तलवों और हथेली में दाने नहीं उभरे हैं सबसे ज्यादा दाने इनके सीने और पेट के पास ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इनके सैंपल की जांच के लिए पुणे लैब भेजा गया है वहां से दो दिनों में रिपोर्ट आ जाएगी इसके बाद स्थिति साफ होगी की जवान कौन से बीमारी की चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है मंकी पॉक्स सहित अन्य सभी बीमारियों का इलाज संभव है बस लोगों को इस तरह की बीमारियों से बचाव के लिए उपाय करना है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
• बार-बार तेज बुखार आना।
• पीठ और मांसपेशियों में दर्द।
• त्वचा पर दानें और चकते पड़ना।
खुजली की समस्या होना।
• शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना।
• मंकीपॉक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है।
• संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है।चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना।
ऐसे फैलता है संक्रमण
•संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपॉक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
• मंकीपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में शारीरिक प्रवेश करता है।
• संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक आइसोलेट रखना चाहिए।
• मंकीपॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
• यह संक्रमित जानवर के काटने से. या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।
ये है इसका इलाज
मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। मंकीपॉक्स को यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है।