10-12-2017 23:31:07 .
जगदलपुर । किसी भी क्षेत्र के विकास में बिजली का अहम योगदान होता है आदिवासी और पिछड़े मानेजाने वाले बस्तर केविकास के लिए राज्य शासन ने अहम कदम उठाते हुए दो बड़ी सौगात दी है जिसमें 476 करोड़ की लागत से 400 के.व्ही.की 650 सर्किट किलोमीटर उच्च दाब लाइन का निर्माण किया गया है साथ ही 123 करोड़ की लागत से400/220 के.व्ही के अति उच्चदाब उपकेंद्र का निर्माण परचनपाल महुपाल बरई में किया गया है।आदिवासी अंचल बस्तर की विद्युत सेवा अबराजधानी रायपुर के निकट धरसीवां स्थित ग्रामरायता में निर्मित 400 केव्ही उपकेन्द्र से सीधे जुड़ गई है इसी उपकेंद्र से नगरनार स्टील प्लांट को भी विद्युत आपूर्ति की जायेगी।
विदित हो कि पारेषण कंपनी द्वारा राज्य शासन कीनीति के अनुरूप आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर केतीव्र विकास को दृष्टिगत रखते हुए वह विशालकाय विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण किया गया है इस नवनिर्मित लाईन के संबंध में जानकारी देतेहुए ट्रांसमिशन कंपनी की प्रबंध निदेशक श्रीमती तृप्ति सिन्हा ने बताया कि प्रदेश केविद्युत मानचित्रपर ट्रांसमिशन प्रणाली के विस्तार की दिशा मेंकंपनी की यह एक बड़ी उपलब्धि है लगभग 476करोड़ रूपये की लागत से निर्मित रायता (धरसींवा)से
जगदलुपर तक 400 केव्ही की अतिउच्चदाबलाईन के पूर्ण एवं ऊर्जीकृत होने से न केवल नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी के स्टीलप्लांट को लाभ होगा बल्कि वनांचल क्षेत्र बस्तर केऔद्योगिक विकास को गति देने में भी यह सहायक होगी अब बस्तर क्षेत्र को 220 एवं 132 केव्ही केसाथ साथ 400 केव्ही की ट्रांसमिशन लाइन से जोड़दिया गया है राज्य स्थापना के समय 400 के.व्ही.लाईन वर्ष 2000 में 277 सर्किट किलोमीटर थी, जोकि अब बढ़कर 1915 सर्किट किलोमीटर हो गई है।बस्तर में अभी तक 220 और 132 केव्ही कीट्रांसमिशन लाईन थी400 केव्ही की नई लाईनडालने से बस्तर अंचल रायपुर से जुड़ गया है
400केव्ही की यहलाईन बस्तर क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगी इससे वहां वोल्टेज की समस्या नही रहेगी और विभिन्न श्रेणी के
उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली मिल सकेगी।
पारेषण क्षमता में चार गुना वृद्धि
पूरे प्रदेश में पारेषण लाइनों का जाल बिछ चुका है।इस क्षेत्र में की गई बेमिसाल प्रगति का नतीजा है किपारेषण कंपनी की पारेषण क्षमता 1610 एमव्हीए सेबढ़कर 6350 एमव्हीए हो गई है। यानी पारेषणक्षमता में रिकार्ड चार गुना से अधिक वृद्धि दर्ज कीगई। इसी का नतीजा यह रहा कि प्रदेश की पारेषणहानि 2.81 प्रतिशत ही है, जबकि राष्ट्रीय औसतपारेषण हानि 4 प्रतिशत से करीब है।