jagdalpur, 20-12-2021 19:49:52 .
जगदलपुर। शहर के गली-मोहल्लों, मेडिकल स्टोर्स और छोटी-छोटी दुकानों पर अब दूसरे राज्यों के बड़े-बड़े डॉक्टरों को चार से आठ घंटे की ओपीडी नहीं चल पाएगी। ऐसे डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कड़े कदम उठाए हैं और गली-मोहल्लों में इलाज की सुविधा देने वाले 15 लोगों को नोटिस भी जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी नई गाइडलाइन के अनुसार जिले में अब बस उन्हीं डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने दिया जाएगा जिनका रजिस्ट्रेशन छत्तीसगढ़ या बस्तर जिले का होगा। स्वास्थ्य विभाग के इस नए कदम से गली-मोहल्लों में चलने वाली दवा दुकान कम क्लीनिक बंद होने की कगार पर आ चुके हैं। सीएमएचओ ने ऐसे डॉक्टरों को 10 दिन का समय दिया है। दरसअल, शहर में इन दिनों एक नया ट्रेंड चल रहा था कोई भी मेडिकल दुकान का संचालक विशाखापट्टनम से डॉक्टरों को हफ्ते में एक दिन बुलाकर अपने मेडिकल स्टोर पर बिठा रहा था और मेडिकल स्टोर के बाहर टेंट गाड़कर ओपीडी के जरिए मरीजों की जांच कर उन्हें दवा दिलवा रहा था। पहले तो दो-चार दुकान संचालकों ने ऐसा किया लेकिन पिछले कुछ समय में लैब संचालकों दवा दुकान संचालकों और यहां तक कि लोग खाली कमरे में भी पैसे जमा कर विशाखापट्टनम से डॉक्टर बुलाने लगे और हफ्ते में एक दिन कुछ घंटे वाला हॉस्पिटल चलाने लगे। इसके बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे लोगों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है।
स्थानीय पंजीयन होने पर ही कर सकेंगे प्रैक्टिस, नहीं तो होगी कार्रवाई
गली-मोहल्लों में हॉस्पिटल के नाम पर डॉक्टरों की दुकानें सजने के बाद अब सीएमएचओ ने इस पर कड़े कदम उठाए हैं उन्होंने शनिवार को एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में वे ही डॉक्टर प्रैक्टिस कर सकते हैं जिनका रजिस्ट्रेशन छग मेडिकल काउंसिल में पंजीयन हो और नर्सिंग होम एक्ट के तहत पंजीकृत हो। ऐसा कोई भी डॉक्टर जो इन दोनों में से एक भी पात्रता नहीं रखता है वह यहां प्रैक्टिस नहीं कर सकता है। सीएमएचओ के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई भी डॉक्टर इस नियम का •पालन नहीं करेगा तो उस पर छग राज्य उपचर्याग्रह और रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम 2010 एवं नियम 2013 नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा भी कारवाई के लिए कई अन्य प्रावधान हैं।
दवा और जांच के नाम खेल चल रहा है हमारी कड़ी नजर है: सीएमएचओ
सीएमएचओ डॉ. डी राजन ने बताया कि कुछ स्थानीय लोग बाहर से डॉक्टर बुला रहे हैं ये डॉक्टर अपने साथ दवा भी लेकर आते हैं इसके बाद जांच के लिए मरीज को अपने हॉस्पिटल बुलाते हैं। हमने कुछ डॉक्टरों के द्वारा लिखे दवा के पर्चे देखे, डॉक्टर ऐसी दवा लिख रहे हैं कि जो सिर्फ संबंधित मेडिकल स्टोर या उनके शहर में मिलती है और ब्रांडेड है कोई भी बाहर से आने कला डॉक्टर जेनेरिक दवा नहीं लिख रहा है। प्रथम दृष्टया पूरा खेल मरीजों को ठगने का है। इसके अलावा कानून भी दूसरे प्रदेश के डॉक्टरों को इस प्रदेश में प्रैक्टिस की इजाजत नहीं देता है। अभी हमने लोगों को 10 दिनों का समय दिया है कि वे अपने ताम-झाम समेट लें। इसके बाद भी कोई प्रैक्टिस करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी। मिली जानकारी के अनुसार शहर की अंदरूनी गलियों में संचालित कुछ मेडिकल स्टोर्स बाहर से आने वाले सभी डॉक्टर विशाखापट्टनम के मरीजों को ठगने का बड़ा खेल के संचालक दूसरे राज के डॉक्टर से टाइअप कर उन्हें हफ्ते में एक या दो दिन के लिए बुलाते हैं और इसके पहले उनका खूब प्रचार करते हैं। अब ऐसे लोगों पर रोक लगा दी गई है।
अभी शहर के गली-मोहल्लों में बैठने वाले ज्यादातर डॉक्टर विशाखापट्टनम से आ रहे हैं। विशाखापट्टनम के इन डॉक्टरों के संबंध में स्थानीय लोग ऐसा प्रचार करते हैं कि वे बहुत बड़े डॉक्टर है विश्व प्रसिद्ध हैं। इस मामले में खास बात यह है कि ये डॉक्टर सिर्फ रविवार को ही जगदलपुर आते हैं। इसके बाद वहां जगदलपुर में मेडिकल स्टोर्स या अन्य दुकान पर बैठकर मरीजों को जांच करते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो यहां आकर जांच करना तो एक बहाना होता है एक मरीज इनके पास पहुंच जाता है तो फिर उसे जांच के लिए वे विशाखापट्टनम अपने हॉस्पिटल बुलाते हैं और वहां जांच और इलाज के नाम पर मरीजों को लाखों रुपए का बिल पकड़ाया जाता है।