@मोहम्मद ताहिर खान बीजापुर। यहाँ से करीब 65 किलोमीटर दूर धर्मारम गाँव में एक झोपडी में चार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया जा रहा है।भवन नहीं होने का दंश क्षेत्र के बच्चें वर्षो से भोग रहे है। उसूर ब्लाक के संवेदनशील गाँव धर्मारम पंचायत के तहत कासपारा, इनकपारा, और पुजारीपारा गाँव आते हैं।नियमतः इन गाँव में भी आंगनबाड़ी केंद्र होनी चाहिए। किन्तु विभागीय उदासीनता के चलते वर्षो से यहाँ आंगनबाड़ी के लिए भवन नहीं बनाया गया। भवन नहीं होने से धर्मारम गाँव के ही एक झोपडी में चार केन्द्रों को मज़बूरी वश संचालित किया जा रहा है।यहाँ केंद्र में आने वाले बच्चों की संख्या 40 से ज्यादा है। लेकिन सुविधाएँ तनिक भी नहीं।पूरक पोषण आहार से लेकर बच्चों के खेलने के लिए खिलौना भी इन केन्द्रों के बच्चों को मैय्यसर नहीं होता। बच्चों के बैठने टाटपट्टी भी नहीं है। जमीन पर बैठ बच्चें वर्णमाला से ज्ञान अर्जित करते है। ये बताना जरुरी है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के लिए सरकार लाखों रुपये का आबंटन देती है। लेकिन ऐसे केन्द्रों को देखने से पता चलता है कि नक्सल क्षेत्र होने के बहाने बच्चों और माताओं के नाम पर एक बड़ी राशी का बंदरबाट हो रहा है। अन्दुरुनी क्षेत्रों में सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का कितना और किस प्रकार से क्रियान्वयन हो रहा है। इसका अंदाजा धर्मारम जैसे अन्दुरुनी गाँव से आसानी से लगाया जा सकता है। क्षेत्र के ग्रामीण बताते है कि यहाँ सालों से विभाग का कोई भी अधिकारी नहीं आया है।इधर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी विजेन्द्र सिंह ठाकुर का कहना है कि स्टाफ और पहुंचविहीन क्षेत्र होने के चलते भवन बनाने में अड़चन आ रही है।