जगदलपुर । मौजूदा समय मे नक्सलियों ने अपनी रणनीति बदल ली है अब वे गांवों से बच्चों का अपहरण कर इन बच्चों का इस्तेमाल कूरियर के तौर पर या मुखबिरी के लिए करते हैं।बाल संघम उनका घोषित दस्ता है, जिसमें केवल नाबालिग बच्चे ही रखे जाते हैं। ये सारी बाते आज आईजी विवेकानंद सिन्हा ने प्रेस वार्ता के दौरान कही दरअसल हाल ही में नारायणपुर के माड़ इलाके में पुलिस सर्चिंग पर निकली थी जहाँ पुलिस टीम और नक्सलीयो का आमना-समना हुवा जहाँ हल्की मुठभेड़ के बाद नक्सली भाग खड़े हुवे जब इलाके की सर्चिंग की गई तो वहाँ डरी सहमी 13 वर्षीय नाबालिंग पारो (बदला हुआ नाम) मिली । टीम ने CWC को उसे सौप उसके बयान से पता चला कि नक्सली पारो से संतरी ड्यूटी के आलावा नाच गाने के काम करवाते थे नक्सली उसके परिवार वालो को डरा धमका कर उसे अपने साथ ले गए थे। नक्सलियों ने पारो के परिवार वालो को हिदायत दी थी कि पुलिस के पास जाने पर उनके परिवार को गांव छोड़ कर जाना पड़ेगा जिस डर से पारो के घर वाले उसकी मदद नही कर पा रहे थे पारो एक बार नक्सली चांगुन से भाग के आने की कोशिश की पर नक्सली सप्ताह भर के भीतर उसे वापिस अपने साथ ले गए । साथ ही आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि यह घटना ने नक्सलियों के दोहरे चरित्र को उजागर करती है जहाँ एक और नक्सली आदिवासियों के हितैषी होने का दावा करते है वही दूसरी और इन मासूमो को बालसंघम के रूप में सगठनों में शामिल भी करते है हाल के दिनों में हुवे पुलिस नक्सली मुठभेड़ में ये देखा गया है की नक्सली महिलाओं और बच्चो को अपने ढाल के रूप में प्रयोग करते है और बच्चो को वो अपने संघठन में शामिल कर के उनका बचपन छीनने के अलावा पढ़ाई, खेलकूद आदि करने से रोक कर उन्हें आईडी लगाने की ट्रेनिंग देना नक्सली विचारधारा का प्रचार करने के लिये उनका उपयोग करना आदि करते है जो कि उत्पीड़न की श्रेणी में आता है । बस्तर संभाग में पुलिस टीम सामाजिक पुलिस के जरिये ग्रामीणों को जागृत कर रही है पूरे बस्तर संभाग में अलग अलग नामो से सामाजिक पुलिसिंग चलाया जा रहा है पुलिस के आला अधिकारी ग्रामीणों को सरकार द्वारा उनके और उनके बच्चो के लिए किए जा रहे कार्यो के बारे में बताती है इसके अलावा पुलिस द्वारा अंदुरुनी इलाको में जा कर डाटा तैयार करवाया जा रहा है साथ ही ये पता लगाया जा रहा है कितने बच्चे मिसिंग है व कितने लोग अपने जीवनोपार्जन के लिए बाहर गए हुवे है ।