16-09-2021 20:06:35 .
जगदलपुर। बस्तर के आदिवासियों की कला, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ग्राम आसना में बस्तर अकादमी ऑफ डांस, आर्ट, लिटरेचर एण्ड लेंग्वेज (बादल) पूर्णता की ओर है। इस परिसर में गुरुवार को कलेक्टर रजत बंसल ने आदिवासी समाज के प्रमुखों तथा कला, साहित्य एवं संस्कृति जगत से जुड़े लोगों की बैठक ली तथा उनसे बारीकी से आदिवासियों की कला, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के बारे में जाना साथ ही बस्तर कलेक्टर ने विस्तार से इस प्रोजेक्ट के बारे में पत्रकारों को बताया इस प्रोजेक्ट के जरिये बस्तर में विलुप्त हो रहे लेंग्वेज के संरक्षण के बारे में लंबी चर्चा की उन्होंने एक किस्से के जरिये बताया कि वे कुछ समय पहले एक गांव में थे अधिकतर बच्चे और युवा भतरी से अंजान थे जबकि बस्तर की मुख्य बोलियों में भतरी एक है इनको सहेजने की आवश्यकता है । साथ ही उन्होंने बताया कि हेरिटेज वाक के जरिए छत्तीसगढ़ से बाहर के लोगो को कैसे यहाँ की संस्कृति से जोड़ना है इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। जिसमे टूरिस्ट बस्तर की आराध्या देवी का दर्शन करते हुवे बसों से बादल परिसर पहुचेंगे। इसके अलावा थाप नाम से इस परिसर में आधुनिक साउंड स्टूडियो बनाया गया है जिसमे स्थानीय कलाकार इसका उपयोग कर पाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस कार्य के अन्तर्गत बस्तर संभाग के 40 प्रकार के परम्परागत लोक गीतों के संकलन का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। बैठक में कलेक्टर ने बताया कि बादल संस्थान के भौतिक अधोसंरचना से जुड़े लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। इसके साथ ही शेष कार्यों को भी शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।