28-08-2019 12:53:29 .
वेब डेस्क -- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के खिलाफ और इससे संबंधित दाखिल तमाम याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई कर कई बड़े फैसले लिए.सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया है जिसमें वार्ताकार के नियुक्तर करने की मांग की गई थी.कश्मीर टाइम्स के एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन की मांग पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. उन्होंने अदालत से इंटरनेट, लैंडलाइन और दूसरे संचार साधनों पर लगी पाबंदी में ढील देने की बात अर्जी लगाई थी. इस विषय पर अदालत ने सात दिनों के अंदर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की पीठ ने सीपीआई के महासचिव को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दी है. लेकिन यह साफ कर दिया है कि वो अपने दोस्त तारिगामी से मिल सकते हैं.इसके साथ ये भी कहा कि वो अपनी यात्रा का राजनीतिकरण न करे
किन लोगों ने की थी याचिका दायर
नेशनल कांफ्रेंस सांसद मोहम्मद अकबर लोन, रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी, पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद और राधा कुमार की ओर से भी याचिका दाखिल की थी। वहीं वकील एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य में संचार पर लगी पाबंदियां पत्रकारों के पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की राह में रोडा बन रहा है
अनुच्छेद 370: सुप्रीम फैसले पर एक नजर
अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया पर पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ अक्टूबर में करेगी सुनवाई.सरकार की तरफ से एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि केंद्र को नोटिस भेजने से सरहद पार असर होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सीपीएम महासचिव को उनके दोस्त तारिगामी से मिलने के लिए श्रीनगर जाने की इजाजत दी है.लेकिन यह भी कहा है कि वो मुद्दे का राजनीतिकरण न करें
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं
अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं लगाई गई थी.इनमें से कुछ याचिकाओं में कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों को हटाने के संबंध में है. केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ अलग अलग लोगों ने कहा था कि मनमाने ढंग से जम्मू-कश्मीर के लोगों को विश्वास में लिए बगैर फैसला किया गया